Battle of Bithoda-Chelawas-Auwa (1857)
सन 1857- आउवा का विद्रोह सन 1857, जोधपुर के कुलीन कुशाल सिंह चंपावत ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ 1857 के भारतीय विद्रोह में शामिल हुए आयुवा के आसपास सोजत सिटी, पाली, खारिया सोढा, एरिनपुरा के लगभग 5000 से 6000 राजपूत उनके साथ शामिल हुए. कुशाल सिंह जी ने मारवाड़ (जोधपुर) के महाराजा तख्त सिंह जी की सेना से लड़ाई लड़ी ।
आऊवा के निकट विठोदा के पास एरिनपूरा छावनी के क्रांतिकारी और जोधपुर की सेना के बीच में 8 से 9 सितंबर 1857 को आमने-सामने युद्ध हुआ। हालांकि अधिकांश राठौर राजपूत ने और आसपास के राजपूत ने और जोधपुर रियासत के अंदर आने वाले कई क्षेत्रों के राजपूत ने इस युद्ध में विदेशियों के लिए अपने ही क्षेत्र के साथी राजपूत के खिलाफ लड़ने से और उन्हें मरने से इनकार कर दिया इस प्रकार कुशाल सिंह जी ने जोधपुर के तगत सिंह जी द्वारा उठाए गए स्थानीय सैनिकों की एक सेना को हरा दिया ।
चेलवास की लड़ाई (1857-1858) में
कुशाल सिंह जी ने कैप्टन मेसन की हत्या कर दी और उसका अपमान करने के लिए उसका सिर आऊवा के किले के द्वार पर लटका दिया . इसके बाद उन्होंने ब्रिगेडियर लॉरेंस के नेतृत्व वाले 2000 पुरुषों की ब्रिटिश सेना को हराया। स्वतंत्रता सेनानियों ने जोधपुर के सेनापति राजमल लोढ़ा किलेदार ओनाड़ सिंह पवार और उनके सैनिकों को युद्ध में मार गिराया ।
किलेदार ओनर सिंह पवार (मेंफाबत) ठिकाना मोकलपुर (मोकला) तहसील मेड़ता जिला नागौर के रहने वाले थे। यह जोधपुर के महाराजा तकत सिंह जी के सन 1843 से 1857 तक किलेदार (सेनापति) थे जो स्वतंत्रता सेनानियों का मुकाबला करते हुए मारवाड़ जंक्शन के बिठोड़ा में 8 सितंबर 1857 को शहीद हुए। मोकलपुर तालाब के किनारे किलेदार ओनाड सिंह पवार उनके पुत्र किलेदार देवी सिंह जी पवार एवं उनके पौत्र के लाल सिंह (स्वर्गीय) जी पवार की छतरियां बनी हुई है।
इस 2 दिन की लड़ाई के बाद करनल होम्स के नेतृत्व में 30000 लोगों की सेना ने आऊंवा की घेराबंदी की और कुशाल सिंह जी को आउवा में अपने किले में वापस जाने के लिए मजबूर किया। 20 जनवरी 1858 को लड़ी गई इस लड़ाई में ठाकुर कुशाल सिंह जी की सेना पराजित हो गई लेकिन इतिहास में इस ठिकाने का नाम अमर कर दिया ।
करनल होम्स ने 30000 सैनिकों के साथ 6 महीने तक आऊवा की घेराबंदी की । अब इस लड़ाई में कुशाल सिंह की सेना कमजोर पड़ने लगी । भविष्य की लड़ाई, नेतृत्व और स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला को जीवित रखने के लिए सैनिकों ने कुशाल सिंह जो को किले से बाहर निकाल दिया और मेवाड़ के रास्ते सलूंबर भेज दिया । सलूंबर में रावत केसरी सिंह के यहां शरण ली । सलूंबर के बाद कुशाल सिंह जी कोठारिया चले गए । अंग्रेजों ने ये किलेबंदी 1864 में कुशाल सिंह जी की मृत्यु तक रखी थी ।
नेतृत्व कौशल के धनी आऊवा के ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत की अगुवाई में मातृभूमि के रक्षक ठाकुर शिव सिंह आसौंप, ठाकुर बिशन सिंह गुलर, ठाकुर अजीत सिंह आलनियावास, ठाकुर पृथ्वी सिंह लांबिया, कोठारिया, रूपनगर, लसानी ,आसींद , पाली , खारिया सोढा, बांका, भीमालिया, बगड़ी के शासको एवं आम राजपूतों ने इस लड़ाई में हिस्सा लिया ।लगभग 6000 सैनिक और ग्रामवासी ने आयुवा की तरफ से भाग लिया । इस युद्ध में सैकड़ों स्वतंत्रा सेनानी वीरगति को प्राप्त हुए ।
24 जनवरी 1858 को ही ब्रिटिश सेना ने 120 स्वतंत्रा सेनानियों को गिरफ्तार कर लिया । इनमें से 24 शूरवीरों को ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का अपराधी मानते हुए उन्हें अलग से चिन्हित किया , इनका कोर्ट मार्शल किया गया, मुकदमा चलाया गयाउर 25 जनवरी को अदालती फैसला सुनाकर उन्हें मृत्युदंड देने की घोषणा की । मातृभूमि के इन वीर सपूतों के हाथ पांव बांधकर , पंक्ति में खड़ा करके गोलियों से उनके सीने छलनी कर दिए गए । वे 24 स्वतंत्रा सेनानी आऊवा के स्वतंत्रा समर में शहीद होकर अमर हो गए ।
आउवा के युद्ध में शहीद हुए सभी सैनिकों की सूची कभी सार्वजनिक नहीं की गई । परन्तु इस लड़ाई में सहयोग देने वाले कई गांवों को बाद में खालसे घोषित कर दिया गया । किंवदंती के अनुसार इस लड़ाई के बाद ही खारिया सोढा गांव को भी खालसे घोषित करके वहां की जागीर चारण को दे दी गई ।
आउवा के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विस्तृत सूची जोधपुर संग्रहालय में उपलब्ध होने की संभावना है । यह जानकारी 1857 के स्वतंत्रा संग्राम से संबंधित है, और संग्रहालय में युद्ध के शहीदों के नाम और विवरण हो सकता है । परन्तु इस बात की भी प्रबल संभावना है उस संग्रहालय में में सिर्फ उन शहीदों के ही नाम हो जो जोधपुर की तरफ से आउवा के खिलाफ लड़े थे । आउवा की तरफ से लड़े उनकी सूची इनके पास नहीं हो । इसलिए फिर इसकी विस्तृत जानकारी सिर्फ आउवा के ही किन्हीं दस्तावेजों में मिल सकती है । जोधपुर की तरफ से उस समय महाराजा तख्त सिंह जी सिंहासन पर थे । इसलिए विस्तृत जानकारी के लिए उस समय के दस्तावेजों को सज्जनता से जांचना होगा या ऐसी कोई वेबसाइट , ई बुक आती है तो देखना होगा ।
संदर्भ आभार
स्वतंत्र संग्राम पनोरमा आउवा पाली
तने सिंह सोढा काठा
नेत सिंह सोढा कच्छ
कुर्सीनामा खारिया सोढा
राजपूताना विरासत एवं संस्कृति FB
राजपूत क्लब FB
राजपूत योद्धा राव प्रताप सिंह खींची चौहान FB
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