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Monday, October 7, 2019

पाबू जी मंदिर स्थापना


 पाबू जी मंदिर स्थापना



गांव खारिया सोढा में पुराने समय से पाबू जी का चबूतरा रहा है हर पवित्र मौके एवम उत्सव पर लोग यहां श्रद्धापूर्वक परिक्रमा करते रहे है  
गांव के सभी वर्गो ने मुख्यत सोढा राजपूतों ने हर घर से 1000 रुपये इकठ्ठा कर मंदिर निर्माण के सहयोग राशि जुटाई  
इन मंदिर की विधिवत स्थापना 7 अक्टूबर 2019 को हुई इससे पूर्व यहां भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया  
मंदिर स्थापना में हवन कुंड आरती ध्वजारोहण कलश स्थापना इत्यादि पवित्र परम्पराओ को भी सम्पादित किया गया अब यह भव्य मंदिर खारिया सोढा में सोढा रावला की शान एवम आध्यत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है





पाबू जी प्रतिज्ञा----
 
               ( सोढ़ा और पाबू जी के बीच संबंध)



  लेखक-: गिरधारी सिंह परिहार
​     अमराणे रि आँख्या बस गी , परनणीजन पाबू आया।
      राठौड़ पावणा सोढ़ा रा , पलका प्यारी मनडा भाया।
     फेरा बैठा कमधज सोवे , वेदा रा मंत्र गाज रिया।
     सोढा रा मदुरा कंठ खुल्या,मंगल रा बाजा वाज रिया।।

      घूंघट में कनका ची निरखे,हिवड़े  पियूँ प्यारा लाग्या।
      कंवरी चवरी पे सूझ रही,कितरा सोया सपना जाग्या।।

     जद तीज़े फेरे ने उठ्या।2।,केसर डोढा पर हरण आयी
     मंगल में मोटो विघ्न पड़्यो,जद कलधज करती देवल 
     आयी।        

     बोल्या कमधज थाने मरजाउ,मारी घोड़ी मत ले जावो।
    थे अब सोढा रा रेग्या हो,जायल रे जिन्द करियो धावो।
    वो मारी गाया ले भाग्यो,सागे खींचीया रो दल लायो
    दुर्गत तो देवल री होगी, पण भुण्डावो थाने आयो।

     जावतोड़ो कह गयो जीन्दराव।2।,जे गाया पाछी लेणी है
     खिचिया रे गढ़ में आजयी , ने केसर माने देणी है।

     घोड़ी रेवे राठोडा रे,तो गाया खिचिया रे जावेला
     कही दीजे थारे कमधज ने, माथे रे साथे आवेला

     थू चारण मने नट गी।2। जद घोड़ी लेवन में आया।
    खीची किकन खारा लागा, राठोड़ थाने ऐडा भाया
    थु केसर कालवी नी देती,कमधज थू माचू कोल किया।
    और  घोड़ी देती अड़ी आवे,पाबु अडसी ने वचन दिया।


    जद में थाने घोड़ी दिनी।2।, आ बात हुई कोनी आछी।
    थे खुब फेरा खावो,केसर तो देणी पड़सी पाछी।

    पाबु री भलकुटीया बल खायो।2।,फेरा अध बीच पग जमग्या।
    सोढा वाला हिवड़ा हाल्या, मंगल गाजा वाजा थमग्या

    कमधज बोल्यो देवल देवी ,थे जको संदेशो लायी है
     खिचिया री खुली चुनौती, राठोडा सामे आयी है
    माता आ बात घनी माड़ी, घोड़ी ने पाछी देवण री
     गाया घोड़ा री बात कसी, बात है माथा देवण री

     थे मनडा ने काठो राखो, में वचना ने नी हालाला
     खिचिया रा बल चु दबा नी,मरजाला के माराला।
      इतरो कह गठजोड री गांठ थामण,खोलन लाग्या     
       पाबूजी।
      अमराणो सारो धुज उठियों,फूलनदे री काया धुजी

     सूरजमल सोढे कह्यो राव, थे मासु मति करो एडी
     अध ब्याई कन्या छोडोला,बात होसी घणी माड़ी

      सोढा रे लांछन लागेला,सुगना वाली शुभ बेला में
      विघन पढेला राज आज , अमराणे री रंग रेला में

      सथलेवो छुटे अध बीच, ओ करम बड़ो अनहुतो
       सोढा री कवरी चु वस्ती ,गाया री कीमत मत हुतो।

     थे कमध बिराजो फेरा में, देवल ने में मना लेस्या
     खिंची जितरी गाया लेग्या, उनसी दूनी गिणवा देस्या।

      धीरज चु बात निपट जासी, ज्या अनहुती होई 
      वो जीन्दराव दूजो कोई नही ,कमधज थारो बहनोई
       राठौड़ कह्यो सोढा राणा,आ हुयी नही है होंवण री
      आणि में बात घणी लागी, साँसरिये सामें जोवण री

      राठौड़ कह्यो सोढा राणा,ऐ वचन सिरा पे धरयोडा
      किकर देवो केसर पाछी, बाजोल वचना में हारयोड़ा

      खिंची आ बात करी माड़ी,रजपूत चोवे काकड़ कोहि
      सोये  पाबु के मगरा में, भालो मारियो है बहनोहि

      राठौड़ां रे ठोकर मारी,  लेग्यो है गाया  चरती ने
      राणाजी लाज इति घणी मारी, धोरा वाली धरती ने
      अब जे फेरा में बेठाला,टाला ला होणी आयी ने
      लाछन लागेला मारी पीढीया री, खरी कमाई ने

      वी जीन्दराव सुखो जावे,तो देवल री गाया जावे
      ओ राजपूत भूल जाये रजपूती ,तो भुंड पादरी आवे

  अब गाया साठे गाया देवोला तो,में किया वीरा जागा भाया    ने
    ओर काय रे बाजाला राणाजी,राजपुतनिया रा जाया ने

      काय रे वाजण री भूल थी,मरणे चु वस्ती भारी है
     रजपूती किया रे डूबा दोला,मन्हे प्राणा चु प्यारी है

      इतरो कह गठजोड़ री गाँठ थामण, खोलन लाग्या 
       पाबूजी
      इतरो कह चढ़ गिया पाबूजी, केसर हवा में उड़ चाली
      राठौड़ा रा घोड़ा दौड़या,पोडा चु धरती हाली

      खिचिया रो मार्ग जा रोकियो, तलवारा पलकन लागी
      राजपूत ने राजपूत काटे, धरती धोरा वाली जागी

      चिचकि धरती धोरा वाली,उण दिन तो रजपूती रोयी
      जद साले रे गले पे भालो, भड़कायो बहनोहि
      पाबु हड़बुसा वीर कट्या, चांदे डेमेसा भलवाला
     राठौड़ कट्या खिंची कट्या, भूमि पे बसग्या भुरझाला

     कागा और गिरदा रो टोलो, लाशा पर रोल मचावे हो
     पूग्यो गोगो चौहान वठे, आंख्या झलकी पछतावे हो

     रजपूता थाने नमस्कार ,पग पग खांडा खड़का गिया
     बस अंदेशों आवे हो कि, भाई ने ही भाई खा गिया।

      बोलो पाबूजी महाराज की जय हो।
                      लेखक - गिरधारी सिंह परिहार


जय माँ  सच्चियाय माता