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Tuesday, October 19, 2021

सोढा और धरणीवराह - Sodha & Dharnivraah

 धरणीवराह के वंशज सोढा और सांखला 2 भाई थे । सोढा के वंशज सोढा परमार और सांखला के वंशज सांखला परमार कहलाये । अब हमें यह जानना है कि सोढा और सांखला का पूर्वज धरणीवराह कौन थे , यह प्रश्न विवादस्पद है । 

परमार / पंवार वंश में तीन धरणीवराह हुए है । एक धरणी वराह किराडू के शासक थे । जिनका समय 7वीं शताब्दी के आसपास था । दूसरा धरणी वराह विकर्मी संवत 1050 के लगभग था । तीसरा धरनिवराह , जगदेव परमार का प्रपौत्र था, जिसका समय लग्भग 1254 विक्रमी संवत का था । अब इन तीनो धरनिवराह में सोढा सांखला के पूर्वज कौन थे । 
इसका जवाब हमे नैणसी मुणोत की ख्यात से मिलता है। नैणसी की ख्यात के अनुसार -
" सोढा सांखला पंवार मिले, 
पेहली इन्नोरो दादो धरनिवराह बाहड में जूनो किराडू कहीजै , तिन्नरो धनी हुतो ।
तिन्नरो नवे कोट मारवाड़ रा हुता ।।

नैणसी के इस कथन से संकेत मिलता है कि-
 सोढा और सांखला का पूर्वज धरनिवराह किराडू का शासक था, जिसके अधिकार में नों कोट थे । नों कोट का धनी धरनिवराह सांतवी शताब्दी के लग्भग था । अतः कहा जा सकता है कि धरनिवराह के वंशज बाहड और बाहड के वंशज सोढा और सांखला हुए ।

सोढा परमार की खांप का अध्ययन करते है तो ज्ञात हो है कि - 
अमरकोट के शासक खींवर के पांच पुत्र हुए -
अवतारदे
चीतों
गूजर
वीरधवल
वीरमदे

चीतों और गूजर के वंशज जैसलमेर चले गए । जैसलमेर के सोढा इन्ही सोढा के है । 
वीरमदे के वंशज जोधपुर अम्बर मारवाड़ क्षेत्र में है । खारियासोढा में वीरमदे के वंशज है
 इसी ब्लॉग में वीरमदे की पूरी वंशावली अग्निकुंड से लेकर 2021 तक कि उपलब्ध करवाई गई है ।

अमरकोट के शासक दुर्जनशाल के छोटे भाई आस्रराव ने पारकर क्षेत्र पर अधिकार किया । इसी आसराव के वंशज आसराव सोढा कहलाये  । पारकर पर अधिकार करने के कारण पारकर सोढा भी कहलाते है । ये बिहार के नागपुर क्षेत्र के आस पास भी है ।


अमरकोट के शासक- 
दुर्जनसाल
खींवरा
अवतारदे
धीरा
हम्मीर
वीसा
तेजसी
कूपा
चापा
गंगा
सूरजमल
करण .... .................
 विस्तृत जानकारी अन्य लेख में उपलब्ध करवाएंगे । 
इस लेख का उद्देश्य धरनिवराह और सोढा वंश का संबंध पता करना है ।


Sunday, October 17, 2021

कीरत सिंह सोढ़ा - मेहरानगढ़ ( जोधपुर दुर्ग )

 कीरत सिंह सोढ़ा

जोधपुर दुर्ग पर राव जोधा के पुत्र राव बिका ( बीकानेर रियासत के संस्थापक) ने अपने पिता की मृत्यु के उपरांत राव सूजा के शासन काल मे राज्य चिन्ह लेने हेतु आक्रमण किया था । परन्तु राजमाता जसमादे ने दोनों भाईयों में समझौता कर युद्ध की संभावना को समाप्त कर दिया ।

इस दुर्ग के साथ वीर शिरोमणि दुर्गादास, कीरत सिंह सोढा, और दो अतुल पराक्रमी योद्धायों धन्ना और भींवा के पराक्रम बलिदान स्वामी भक्ति और त्याग की गौरव गाथा जुड़ी हुई है । लोहापोल कि पास जोधपुर के अतुल पराक्रमी वीर योद्धायों धन्ना और भींवा की 10 खंभों की स्मारक छतरी ( महाराज अजीत सिंह जी द्वारा निर्मित करवाई गई )  है . और वीर किरत सिंह सोढा की छतरी इसके पूर्वी प्रवेश द्वार  जयपॉल की बाई और विधमान है ।

कीरत सिंह सोढ़ा ने शत्रुयों द्वारा मेहरानगढ़ किले को घेर लिए जाने पर असाधारण वीरता का परिचय दिया था एवम अपने प्राण न्योछावर किये थे ।

कीरत सिंह की अनुपम वीरता और कर्तव्यनिष्ठा पर रीझकर गुणग्राही महाराजा मानसिंह ने उनकी प्रशंसा में यह दोहा कहा जो उनके स्मारक पर अंकित है - 

"तन झड़ खांगां तीख, पाड़ी घणा खल पोढियो, 

'किरतो' नग कोडिक जड़ियो गढ़ जोधान" II







सोढ़ा राजपूतों की कुल देवी - माँ हरसिद्धि और माँ सच्चियाय

 इतिहासकार नेत सिंह सोढा का जन्म ज़ुरा केप (भुज कच्छ ) में हुआ । वर्तमान में मुंबई के निवासी है । इन्होंने बाड़मेर जैसलमेर जोधपुर के पुस्तकालयों का विस्तृत अध्ययन किया और कई वंशो की वंशावलियों की प्रामाणिकता के ऊपर शोध किया  । इस शोध के आधार पर इन्होंने अपना अनुभव और ज्ञान कथाकार के रूप में सोशल मीडिया के ऊपर कई जगह शेयर किया है । 

इन्होंने परमार , सोढा , हरसिद्धि माता , सचिय्याय माता , पीर पिथोरा जी के संबंध में बहुत ही गहन अध्ययन करके प्रामाणिक तथ्य उपलब्ध करवाए है । इस इतिहासकार की वजह से अग्निकुंड से लेकर वर्तमान तक का सोढा वंशावली को सहेजा गया है । इन्होंने अपनी कथायो के माध्यम से यह बताया है कि हरसिद्धि माता ही सच्चियाय माता के जन्म में पुनः अवतरित हुई थी । 

कथाकार ने पीर पिथोरा जी की कथा बताते समय स्पष्ठ उल्लेख किया है कि राजा वीर विक्रमादित्य ने अपना शीश 11 बार माता हरसिद्धि को भेंट किया था और वो वापस जीवित हुए थे । परन्तु 12वी बार शीश भेंट करने के बाद पुनः जीवित नही हुए थे । 

वीर विक्रमादित्य के इस शीश दान से माता हरसिद्धि बहुत प्रसन्न हुई थी और उन्होंने राजा से वर मांगने के लिए कहा । तब राजा ने विनती कि - हे माता आप मेरे वंश में जन्म लो ।

इस वचन को पूरा करने के लिए हरसिद्धि माता ने चहडराव जी के यहां जन्म लिया जिनका बचपन का नाम केसर कंवर / कल्याण कंवर था जो आगे चलकर सच्चियाय माता ओसियां माता के नाम से विख्यात हुई । यही कारण है कि सोढ़ा वंश की कुलदेवी के रूप में आज भी हरसिद्धि माता और सच्चियाय माता दोनो को पूजा जाता है ।





वीरमदे सोढा की वंशावली - अग्निकुंड से आज (2021) तक - खारिया सोढ़ा- (VIRAMDE SODHA)

 अग्निकुंड

परमार
पोहोकर
परवार / पुरुवार
परासन जी
सेनजी/ सजाकरन जी
भरत जी / 
भारसेन
कलग
किलइन्द्र
भरी हर्षराज
चतरंगदेव जी/ राजा चतरंग
गंधर्वसेन/गर्दबिल्ल/ महेन्द्रादित्य
विक्रमादित्य - (भाई भर्तहरि ऋषि)
भीमसुख जी
राजबलदे
पगसेन/ पतसेन
भूपतसेन / राजा भूपत
जेतमल जी / जसधमल
शाक्तचन जी
वीरचन जी/ राजा वीरोंचंद
महिपाल
पृथ्वीरण
गोपिंड / गऊपड़
गोड़ीव/ गयुदेव
सेन
कालसेन / कारधेन
सेंशनराज
वीरपाल
विजयराज
राजासोम
सिंधलसेन( सिंधु प्रदेश बसाया)
राजा भोज ( भोपाल बसाया)
राजाबंध
उदेक जी/ उदयादित्य
जगदेव परमार/ जगदेवराय ( शीशदान किया कंकाली देवी को )
डाबरंग जी/ दाम्ब्र जी
धांधूमल  / धधमार / सिंधुराज
धरनिवराह
धोम जी
उपट राव / उपलराव जी ( ओसियाँ बसाया)
अलपराव
बाहडराय जी
चाहड़राव जी / छोड़ जी
सोढा - सांखला - केसर कंवर
सोढा के 2 पुत्र हुवे- 
चाचगदे/ चामकदे एवम सिंधल
चाचगदे के पुत्र राजदे
जयब्रह 
सोमेश्वर
धारावर्ष/ धराहवर जी
इनके दो पुत्र हुए - 
दुर्जनसाल एवम आसराव
दुर्जनसाल के खींवराज
खींवराज के राणा अवतारदे
राणा अवतारदे के 5 पुत्र हुए- 
राणा थीरा, कीता, गज्जू, वीरधवल, एवम पांचवा पुत्र वीरमदे
वीरमदे के भी 5 पुत्र हुए- 
तमायची, रतनसी, मालदेव, उगमसिं,एवम पांचवा सत्ता
तमायची का पुत्र देवराज
देवराज का साधा
साधा का बन्ना
बन्ना का सहसमल
सहसमल का अदिकमल (अड़वाल) 
अड़वाल (अडीकमल ) के एक पुत्र महेराज (महेश) एवम पुत्री बदन देवी हुई । कुंवरी बदनदेवी को जोधपुर रावजी श्री मालदेव जी को परणाई । 

महेराज / महेश का वंश
महेराज का नोटशी
नोटशी के पुत्र ईशरदास एवम नाहरदास
ईशरदास का पुत्र गोरधन
गोरधन के 3 पुत्र खींवराज , गिरधरदास एवम रूगनाथ सिंह हुए । 

इन तीनो पुत्रो के परिवार , वंश आज खारिया सोढ़ा गांव में बसते है । यह गांव राजस्थान के जोधपुर मंडल के सोजत परगना में मारवाड़ जंक्शन के पास स्तिथ है । इस गांव में आज 100 से ज्यादा सोढ़ा राजपूतो के परिवार है । इसी गांव के ओरण में श्री लवा जी महाराज का मंदिर भी है । बताया जाता है कि यह लवा जी महाराज भाटी राजपूत थे जिन्होंने गायों की रक्षा हेतु युद्ध मे अपने प्राण त्यागे थे । नैणसी मुणोत की ख्यात और नैणसी मुणोत की परगना से अध्ययन करने पर इस गांव का इतिहास 800 साल पुराना लगता है ।

रूगनाथ सिंह जी के वंशवृक्ष- 
रूगनाथ सिंह जी के देवकर्ण
देवकर्ण के जगराम सिंह
जगराम सिंह के खींव सिंह
खींवसिंह के झुंझार सिंह
झुंझार सिंह के बरखत सिंह
बरखत सिंह के बहादुर सिंह
केसर सिंह जी
कुंदन सिंह जी एवम सोन सिंह जी
(1) सोन सिंह जी अविवाहित थे तभी उनका देहांत हो गया था ।

(2)  केसर सिंह जी का जन्म , जोर सिंह जी के यहां हुआ था केसर सिंह जी बहादुर सिंह जी के गोद आये थे केसर सिंह जी के पुत्र कुंदन सिंह एवम सोन सिंह जी हुए  जोर सिंह जी का जन्म खींवसिंह जी के तीसरे पुत्र झालंम सिंह के परिवार में हुआ था ) 

कुंदन सिंह जी के 2 पुत्र हुए- 
भंवर सिंह एवम रामसिंह 

कुंदन सिंह जी के एक पुत्री हुई भँवर बाईसा , जिनका विवाह सोजत सिटी के पास धंधेड़ी गांव में सवाई सिंह जी के साथ हुआ। भंवर बाईसा के 3 पुत्र हुए भगवान सिंह ( भंवर सिंह ) , कैलाश सिंह एवम इंद्र सिंह । भंवर बाईसा के एक कुंवरी हुई एजु कंवर जो जोधपुर के उजलिया गांव में परणाई ।
कुंदन सिंह जी ने दो विवाह किए थे गुड़ा केसर सिंह एवम मामावास् । मामावास् में लालसिंह जी मामोसा की पुत्री अंतर बाईसा (भुआ सा) है जिनका विवाह जेलवा गांव में भंवर सिंह जी भाटी के यहां हुआ । भंवर सिंह जी भाटी के पुत्र अजीत सिंह भाटी है 

भंवर सिंह जी सोढा के 4 पुत्र एवम 2 पुत्रियां हुई हुए- छैल सिंह , डूंगर सिंह, मालम सिंह, मान सिंह , निहाल कंवर , सूरज कंवर . भंवर सिंह जी ने 2 विवाह किए थे .

राम सिंह जी सोढा के 3 पुत्र एवम 1 पुत्री हुए - कल्याण सिंह , नरेंद्र सिंह , प्रदीप सिंह, एवम जगदीश कंवर । 
नरेंद्र सिंह की बाल्यकाल में ही 5 वर्ष की आयु में देहांत हो गया था । इनका चबूतरा (थान ) बना हुआ है ।

कल्याण सिंह के पुत्री पुत्र क्रमशः अदिति एवम आदित्य सिंह सोढा है । प्रदीप सिंह के पुत्र जयवंश सिंह है 
जगदीश कंवर सा का ब्याह पाली जिले के ठाकुरला गांव के अजीत सिंह जी कुम्पावत के साथ हुआ । जगदीश कंवर सा की पुत्रियां हर्षिता एवम नीतिशा बाईसा है ।

खारिया सोढा का सोढा परिवार,  वीरमदे सोढा का वंश है । 

यह जानकारी एवम सन्दर्भ अलग अलग पुस्तको के अध्ययन, बुजुर्गों की वार्ता , इतिहासकारों के वीडीयो , आदि कई जगह से प्राप्त हुई । इसमें मुख्य योगदान -  
- नैणसी मुणोत की ख्यात 
- नैणसी मुणोत रा परगना
- क्षत्रिय इतिहास ब्लॉग के रचनाकार यदुवंसी सुरेंद्र सिंह जी 
- इतिहासकार नेतसिंघ जी सोढा हाल निवासी मुंबई
- वेबदुनिया पोर्टल
- एवम कमल सिंह जी सोढा पुत्र श्री फतेह सिंह जी सोढ़ा द्वारा उपलब्ध कराये गए प्रपत्र (कुर्शीनामा खारिया सोढा), हाल निवासी सोजत सिटी 
का रहा है । 
III आपके सहयोग के लिए साभार साधुवाद lll

यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि राजस्थान के इतिहास का सर्वाधिक विश्वनीय स्रोत " मुहणोत नैणसी री ख्यात" है । जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह के देश दीवान नैणसी द्वारा 17वि शताब्दी में लिखित मूल ख्यात राजस्थानी गद्य में लिखी गयी है । इसके अध्ययन के बिना राजस्थान का अध्ययन अधूरा होता है । इतिहासकारों ने तो यहां तक कहा है कि "कर्नल टॉड" को अगर यह इतिहास मिल गया होता तो आज राजस्थान का इतिहास और भी विस्तृत , समृद्ध , यशश्वी लिखा होता । 
नैणसी मुणोत की ख्यात के पृष्ठ संख्या 235 में स्पष्ठ उल्लेख मिलता है कि जब सहसमल की उनके भाईयो ने हत्या कर दी तो उनके पुत्र अड़वाल ( अडीकमल ) अपनी मौसी राणी लक्ष्मी के यहां मारवाड़ आये । और इन्ही के वंश में ईशरदास जी को सोजत का गांव खारिया, पट्टे में आया । नैणसी मुणोत की ख्यात के भाग 1 से यहां दो पृष्ठ छाया चित्र सहित संलंग्न है । जो इस लेख की प्रामाणिकता को सिद्ध करते है II

सोढ़ा वंश की खाँपे / शाखाएं / वंशावली बहुत विस्तृत है । जिसका वर्णन इसी ब्लॉक में कई बार हुआ है । परन्तु यह इतिहास गांव खारिया सोढ़ा के सोढा राजपूतो को केंद्र में रखकर लिखा गया है , इसलिए यहां सिर्फ उन्हीं से संबंधित वंशावली ही है ।  गोरधन जी के पुत्र के आगे की विस्तृत वंशावली गांव खारिया सोढ़ा के सोढा परिवारों में खारिया सोढा का कुर्शीनामा प्रपत्र के रूप में उपलब्ध है । इसलिए यहां सिर्फ रूगनाथ सिंह जी के ही वंशवृक्ष को लिखा गया है ।
 
अपील- 
चूंकि जगह जगह से आंकड़े एकत्रित किये गए है, आंकड़ो को मिलाने का प्रयास किया गया है और एक ही जगह पर हजारों वर्ष पूर्व का इतिहास लाने का प्रयास किया गया है । इसलिए गलतियों की पूर्ण संभावना है । 
आप सभी से निवेदन है कि उन गलतियों की तरफ हमे सूचित करे । तथ्यों के साथ त्रुटि सही पाई गई तो संशोधन अवश्य किया जाएगा ।


संकलनकर्ता
कल्याण सिंह सोढा राम सिंह सोढा
ग्राम खारिया सोढा