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Monday, October 7, 2019

खारिया सोढा गांव से सम्बंदित इतिहास -नैंसी मुहणोत री ख्यात




 खारिया सोढा गांव से सम्बंदित इतिहास -नैंसी मुहणोत री ख्यात




*नैंसी मुहणोत री ख्यात* के प्रथम भाग के विषय क्रमांक 19 में सोढा री ख्यात लिखी गयी है सोढा री ख्यात पृष्ठ संख्या 355 से लेकर 362 तक मे लिखी गयी है  
इसमे खारिया सोढा गांव से सम्बंदित इतिहास पृष्ठ संख्या 355 और 361 से मिलता है इन दो पेज में जो जानकारियां दी गयी है वो पूर्णतया वर्तमान में उपलब्ध प्रमाण (कुर्शिनामा) से मेल खाता है
इन पृष्ठों में स्पष्ठ बताया गया है कि अद्दिकमल एवम महेराज  तक का इतिहास सांखला की ख्यात में उपलब्ध है जबकि नोतशी से इतिहास सोढा री ख्यात में उपलब्ध है यह पूरी जानकारी पेज 361में उपलब्ध है  
सोढा की 16 वी वंश में जन्मे सहसमल को उनके भाईयो ने आपसी लड़ाई में मार दिया था तब सहसमल का बेटा अड़वाल वहां से मारवाड़ चला गया। राव सूजा की रानी लक्ष्मीबाई इनके ( अड़वाल ) के मौसी लगती थी
अड़वाल जी के महेश जी, महेश जी के नेतशि, नेतशी के ईशरदास जी हुए। ईशरदास जी के भाई नरहर दास जी हुए। गांव खारिया सोढ़ा ईश्वर दास जी के पेटे आया
ईशरदास जी के आगे की वंशावली गांव खारिया सोढा में आज भी कई घरों में प्रमाण के रूप में उपलब्ध है



मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से--

मुहता नैणसी (1610–1670) महाराजा जसवन्त सिंह के राज्यकाल में मारवाड़ के दीवान थे वे भारत के उन क्षेत्रों का अध्यन करने के लिये प्रसिद्ध हैं जो वर्तमान में राजस्थान कहलाता है। 'मारवाड़ रा परगना री विगत' तथा 'नैणसी री ख्यात' उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।
मुहता नैणसी जोधपुर का निवासी था। यह जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह ( प्रथम ) का समकालीन था। इसका पिता जयमल भी राज्य में उच्च पदों पर कार्य कर चुका था। नैणसी ने जोधपुर राज्य के दीवान पद पर कार्य किया और अनेक युद्धों में भी भाग लिया, उसे इतिहास में बड़ी रूचि थी।
इसके द्वारा लिखी गई ख्यात 'नैणसी की ख्यात' के नाम से प्रसिद्ध है। कर्नल टाड के अलावा यहां के सभी इतिहासकारों ने इसका किसी किसी रूप में उपयोग किया है। ख्यात की उपयोगिता और इसका महत्व इस बात से ही प्रकट होता है कि गौरीशंकर ओझा ने इसकी प्रशंसा करते हुए लिखा है कि यदि यह ख्यात कर्नल टाड को उपलब्ध हो गई होती तो उसकाराजस्थान' कुछ और ही ढंग का होता। यह ग्रंथ रामनारायण दुगड़ द्वारा दो भागों में सम्पादित ( हिन्दी अनुवाद ) होकर काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा संवत् 1982 में प्रकाशित हुआ था। मूल राजस्थानी में यह ग्रंथ बदरीप्रसाद साकरिया द्वारा सम्पादित होकर राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर से चार भागों में पूर्ण सन् 967 तक प्रकाशि हुआ। इस ख्यात में राजस्थान के प्रायः सभी रजवाड़ों के राजवंशों का इतिहास नैणसी ने लिखा है। 


2 comments:

  1. बहुत सुन्दर इतिहास की जानकारी सा धन्यवाद। ।नेतसिह महासिह सोढा राजपूत कच्छ

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