कीरत सिंह सोढ़ा
जोधपुर दुर्ग पर राव जोधा के पुत्र राव बिका ( बीकानेर रियासत के संस्थापक) ने अपने पिता की मृत्यु के उपरांत राव सूजा के शासन काल मे राज्य चिन्ह लेने हेतु आक्रमण किया था । परन्तु राजमाता जसमादे ने दोनों भाईयों में समझौता कर युद्ध की संभावना को समाप्त कर दिया ।
इस दुर्ग के साथ वीर शिरोमणि दुर्गादास, कीरत सिंह सोढा, और दो अतुल पराक्रमी योद्धायों धन्ना और भींवा के पराक्रम बलिदान स्वामी भक्ति और त्याग की गौरव गाथा जुड़ी हुई है । लोहापोल कि पास जोधपुर के अतुल पराक्रमी वीर योद्धायों धन्ना और भींवा की 10 खंभों की स्मारक छतरी ( महाराज अजीत सिंह जी द्वारा निर्मित करवाई गई ) है . और वीर किरत सिंह सोढा की छतरी इसके पूर्वी प्रवेश द्वार जयपॉल की बाई और विधमान है ।
कीरत सिंह सोढ़ा ने शत्रुयों द्वारा मेहरानगढ़ किले को घेर लिए जाने पर असाधारण वीरता का परिचय दिया था एवम अपने प्राण न्योछावर किये थे ।
कीरत सिंह की अनुपम वीरता और कर्तव्यनिष्ठा पर रीझकर गुणग्राही महाराजा मानसिंह ने उनकी प्रशंसा में यह दोहा कहा जो उनके स्मारक पर अंकित है -
"तन झड़ खांगां तीख, पाड़ी घणा खल पोढियो,
'किरतो' नग कोडिक जड़ियो गढ़ जोधान" II
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