इतिहासकार नेत सिंह सोढा का जन्म ज़ुरा केप (भुज कच्छ ) में हुआ । वर्तमान में मुंबई के निवासी है । इन्होंने बाड़मेर जैसलमेर जोधपुर के पुस्तकालयों का विस्तृत अध्ययन किया और कई वंशो की वंशावलियों की प्रामाणिकता के ऊपर शोध किया । इस शोध के आधार पर इन्होंने अपना अनुभव और ज्ञान कथाकार के रूप में सोशल मीडिया के ऊपर कई जगह शेयर किया है ।
इन्होंने परमार , सोढा , हरसिद्धि माता , सचिय्याय माता , पीर पिथोरा जी के संबंध में बहुत ही गहन अध्ययन करके प्रामाणिक तथ्य उपलब्ध करवाए है । इस इतिहासकार की वजह से अग्निकुंड से लेकर वर्तमान तक का सोढा वंशावली को सहेजा गया है । इन्होंने अपनी कथायो के माध्यम से यह बताया है कि हरसिद्धि माता ही सच्चियाय माता के जन्म में पुनः अवतरित हुई थी ।
कथाकार ने पीर पिथोरा जी की कथा बताते समय स्पष्ठ उल्लेख किया है कि राजा वीर विक्रमादित्य ने अपना शीश 11 बार माता हरसिद्धि को भेंट किया था और वो वापस जीवित हुए थे । परन्तु 12वी बार शीश भेंट करने के बाद पुनः जीवित नही हुए थे ।
वीर विक्रमादित्य के इस शीश दान से माता हरसिद्धि बहुत प्रसन्न हुई थी और उन्होंने राजा से वर मांगने के लिए कहा । तब राजा ने विनती कि - हे माता आप मेरे वंश में जन्म लो ।
इस वचन को पूरा करने के लिए हरसिद्धि माता ने चहडराव जी के यहां जन्म लिया जिनका बचपन का नाम केसर कंवर / कल्याण कंवर था जो आगे चलकर सच्चियाय माता ओसियां माता के नाम से विख्यात हुई । यही कारण है कि सोढ़ा वंश की कुलदेवी के रूप में आज भी हरसिद्धि माता और सच्चियाय माता दोनो को पूजा जाता है ।
बहुत बढ़िया इतिहास की जानकारी सा खूब खूब खूब आभार सा ,,,,नेतसिह सोढा राजपूत मुंबई
ReplyDeleteDHANYWAD HUKAM
DeleteRichhpalgiri Goswami
ReplyDeleteTHANKS
DeleteGood
Deleteकेलण सोढा राजपूत का इतिहास हो तो कृपया वाट्सएप नंबर पर भेजो 9983780977
ReplyDeleteमे सोडा मेघवाल हां फिलहाल लोग यह बोलत है कि आप सोडा राजपूत हो तो हमारी कुलदेवी कोनसी माता है।
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