धरणीवराह के वंशज सोढा और सांखला 2 भाई थे । सोढा के वंशज सोढा परमार और सांखला के वंशज सांखला परमार कहलाये । अब हमें यह जानना है कि सोढा और सांखला का पूर्वज धरणीवराह कौन थे , यह प्रश्न विवादस्पद है ।
All about my Village Khariya sodha (Pali ) Rajasthan. PIN 306001 A small efforts for Collection of Sodha Rajput Vanshavali and History
Tuesday, October 19, 2021
सोढा और धरणीवराह - Sodha & Dharnivraah
Sunday, October 17, 2021
कीरत सिंह सोढ़ा - मेहरानगढ़ ( जोधपुर दुर्ग )
कीरत सिंह सोढ़ा
जोधपुर दुर्ग पर राव जोधा के पुत्र राव बिका ( बीकानेर रियासत के संस्थापक) ने अपने पिता की मृत्यु के उपरांत राव सूजा के शासन काल मे राज्य चिन्ह लेने हेतु आक्रमण किया था । परन्तु राजमाता जसमादे ने दोनों भाईयों में समझौता कर युद्ध की संभावना को समाप्त कर दिया ।
इस दुर्ग के साथ वीर शिरोमणि दुर्गादास, कीरत सिंह सोढा, और दो अतुल पराक्रमी योद्धायों धन्ना और भींवा के पराक्रम बलिदान स्वामी भक्ति और त्याग की गौरव गाथा जुड़ी हुई है । लोहापोल कि पास जोधपुर के अतुल पराक्रमी वीर योद्धायों धन्ना और भींवा की 10 खंभों की स्मारक छतरी ( महाराज अजीत सिंह जी द्वारा निर्मित करवाई गई ) है . और वीर किरत सिंह सोढा की छतरी इसके पूर्वी प्रवेश द्वार जयपॉल की बाई और विधमान है ।
कीरत सिंह सोढ़ा ने शत्रुयों द्वारा मेहरानगढ़ किले को घेर लिए जाने पर असाधारण वीरता का परिचय दिया था एवम अपने प्राण न्योछावर किये थे ।
कीरत सिंह की अनुपम वीरता और कर्तव्यनिष्ठा पर रीझकर गुणग्राही महाराजा मानसिंह ने उनकी प्रशंसा में यह दोहा कहा जो उनके स्मारक पर अंकित है -
"तन झड़ खांगां तीख, पाड़ी घणा खल पोढियो,
'किरतो' नग कोडिक जड़ियो गढ़ जोधान" II
सोढ़ा राजपूतों की कुल देवी - माँ हरसिद्धि और माँ सच्चियाय
इतिहासकार नेत सिंह सोढा का जन्म ज़ुरा केप (भुज कच्छ ) में हुआ । वर्तमान में मुंबई के निवासी है । इन्होंने बाड़मेर जैसलमेर जोधपुर के पुस्तकालयों का विस्तृत अध्ययन किया और कई वंशो की वंशावलियों की प्रामाणिकता के ऊपर शोध किया । इस शोध के आधार पर इन्होंने अपना अनुभव और ज्ञान कथाकार के रूप में सोशल मीडिया के ऊपर कई जगह शेयर किया है ।
इन्होंने परमार , सोढा , हरसिद्धि माता , सचिय्याय माता , पीर पिथोरा जी के संबंध में बहुत ही गहन अध्ययन करके प्रामाणिक तथ्य उपलब्ध करवाए है । इस इतिहासकार की वजह से अग्निकुंड से लेकर वर्तमान तक का सोढा वंशावली को सहेजा गया है । इन्होंने अपनी कथायो के माध्यम से यह बताया है कि हरसिद्धि माता ही सच्चियाय माता के जन्म में पुनः अवतरित हुई थी ।
कथाकार ने पीर पिथोरा जी की कथा बताते समय स्पष्ठ उल्लेख किया है कि राजा वीर विक्रमादित्य ने अपना शीश 11 बार माता हरसिद्धि को भेंट किया था और वो वापस जीवित हुए थे । परन्तु 12वी बार शीश भेंट करने के बाद पुनः जीवित नही हुए थे ।
वीर विक्रमादित्य के इस शीश दान से माता हरसिद्धि बहुत प्रसन्न हुई थी और उन्होंने राजा से वर मांगने के लिए कहा । तब राजा ने विनती कि - हे माता आप मेरे वंश में जन्म लो ।
इस वचन को पूरा करने के लिए हरसिद्धि माता ने चहडराव जी के यहां जन्म लिया जिनका बचपन का नाम केसर कंवर / कल्याण कंवर था जो आगे चलकर सच्चियाय माता ओसियां माता के नाम से विख्यात हुई । यही कारण है कि सोढ़ा वंश की कुलदेवी के रूप में आज भी हरसिद्धि माता और सच्चियाय माता दोनो को पूजा जाता है ।
वीरमदे सोढा की वंशावली - अग्निकुंड से आज (2021) तक - खारिया सोढ़ा- (VIRAMDE SODHA)
अग्निकुंड
भीमसुख जी